प्रतिवर्ष वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ़ और श्रावण भादपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को तीज व्रत किए जाते हैं। तीज मुख्यत: गौरी यानी पार्वती जी तथा शिवकृपा के लिए ही रखे जाते हैं, ताकि गणेशजी जैसी संतान का सुख मिले। सभी नवविवाहित और सुहागिन महिलाएं यह व्रत रखती हैं। इस दिन मंदिर अथवा घर पर ही शिव-पार्वती और गणेश जी आराधना करके, सास-ससुर से आशीर्वाद लिया जाता है। सास को पकवान व्यंजन और वस्त्र आदि भेट किए जाते हैं।
जेठ सुदी तीज को पार्वती का जन्म हुआ था. इस दिन पार्वती माँ के जन्म का उत्सव मनाये व व्रत रखें तो सौभाग्य की वृध्दि होती है.