Chaitra Navratri 2020 Dates~चैत्र नवरात्री 2020

Chaitra Navratri 2020 Dates~चैत्र नवरात्री 2020
This year's Chaitra Navratri 2020 Dates~चैत्र नवरात्री 2020

Wednesday, 25 Mar - 2020

Chaitra Navratri in the Year 2020 will be Celebrated on Wednesday, 25 March 2020.

Here is a detailed schedule of Chaitra Navratri 2020

Navratri dates in March-April 2020

Navratri Fast 1 – March 25, 2020 – Ghatsthapana
Navratri Fast 2 – March 26, 2020 – Dwitya- Sringar Sindhara
Navratri Fast 3 – March 27, 2020 – Tritiya
Navratri Fast 4 – MArch 28, 2020 –  Chaturthi
Navratri Fast 5 – MArch 29, 2020 –  Panchami - Naag Panchami
Navratri Fast 6 – MArch 30, 2020 – Shashti Fast
Navratri Fast 7 – March 31, 2020 – Saptami - Surya Saptami
Navratri Fast 8 – April 01, 2020 – Durga Ashtami - Bhawani Utpati- Ashoka Ashtami
Navratri Fast 9 – April 02, 2020 – Ram Navami - Navratra Ends
Navratri Fast 10 – April 03, 2020 – Dashami

नवरात्री महापर्व पौष, चैत्र,आषाढ,अश्विन माह की प्रतिपदा से नवमी तक वर्ष में चार बार आता है। नवरात्री महापर्व शारदीय नवरात्र और चैत्र नवरात्र के दो मुख्य रूपों में मनाया जाता है। नवरात्रि हिंदुत्व में आस्था रखने वाले लोगो का मुख्य पर्व है जिसे पूरे भारत में अति उल्लास और उत्साह के साथ मनाया जाता है। नवरात्रि संस्कृत भाषा का शब्द है, नवरात्री का अर्थ नौ रातें होता है। नवरात्री की नौ रातों और दस दिवसों के में, देवी के नव् रूपों का पूजन किया जाता है। नवरात्रि महापर्व में तीनो देवियों -  माँ महालक्ष्मी, माँ महासरस्वती या माँ सरस्वती और माँ दुर्गा के नौ स्वरुपों का पूजन किया जाता है जो नवदुर्गा के नाम से विख्यात हैं। दुर्गा का शाब्दिक अर्थ है जीवन के दुखो को हरने वाली।  माँ के भक्त व्रत और उपवास रखकर मां दुर्गा और उसके नौ रूपों का पूजन करते हैं। नवरात्रि के दसम दिवस को दशहरा का त्यौहार मनाया जाता है।

माँ दुर्गा के नौ रूप निम्नलिखित है। 

१. शैलपुत्री
२. ब्रह्मचारिणी
३. चन्द्रघंटा
४. कूष्माण्डा
५. स्कंदमाता
६. कात्यायनी
७. कालरात्रि
८. महागौरी
९. सिद्धिदात्री

नवरात्रि के दिनों में माँ दुर्गा ने महिषासुर नामक एक दुष्ट राक्षस का बध किया था। महिषासुर ने भगवान शिव की उपासना करके अमर रहने का वरदान प्राप्त कर लिया था। भगवान शिव द्वारा वरदान में दी गयी शक्तियों के कारण देवता उस दानव को मारने में असमर्थ हो गए। महिषासुर ने सभी देवताओं को दुखी और परेशान कर रखा था। इस दानव से परेशान होकर सभी देवताओ ने बिष्णु ब्रह्मा जी का आव्हान किया और महिषासुर नामक दैत्य के आतंक से मुक्ति की दिलाने की प्रार्थना की। देवताओ के आव्हान पर ब्रह्मा जी, भगवान् विष्णु और सभी देवताओं ने मिलकर एक शक्ति को जन्म दिया और उस महाशक्ति का नाम माता दुर्गा रखा गया। और माता दुर्गा ने नौ दिनों तक चले भयंकर युद्ध के पश्च्यात महिषासुर नाम के दैत्य का बध कर सभी देवताओं को महिषासुर के प्रकोप से मुक्ति प्रदान की। तभी से यह नौ दिनों का त्यौहार नवरात्री बड़े हर्सोल्लास और श्रद्धा से मनाया जाता है।

नवरात्री पर्व से जुडी एक अन्य मान्यता यह हैं कि जिसके अनुसार भगवान श्रीराम जी ने लंका के राजा रावण पर विजय प्राप्त करने के लिए समुन्द्र तटपर नौ दिनों तक पूजा की तथा रामायण के अनुसार दशहरा के दिन भगवान राम ने रावण का वध कर लंका पर विजय प्राप्त की इसीलिए नवरात्रि के पश्च्यात दशहरा का पर्व मनाया जाता है। दशहरा को असत्य पर सत्य की और अधर्म पर धर्म की जीत का प्रतीक भी माना जाता है।

शक्ति की पूजा अर्चना का त्यौहार शारदीय नवरात्र चैत्र वर्ष शुक्ल प्रतिपदा से नवमी तक की नौ तिथियो, नौ नक्षत्र, नौ शक्तियों की नवधा भक्ति के लिए पुरातन काल से हर्सोल्लास के साथ मनाया जाता रहा है। पुरुषोत्तम भगवान् श्रीराम के द्वारा इस शारदीय नवरात्रि पूजा का आरम्भ समुद्र तट पर किया गया था और उसके पश्च्यात दसवें दिन लंका पर विजय प्राप्ति के लिए प्रस्थान किया। उस समय से असत्य पर सत्य और अधर्म पर धर्म की जीत का उत्सव दशहरा मनाया जाने लगा।नवरात्र के नौ दिनों में माँ आदिशक्ति के प्रत्येक स्वरूप की क्रमशः अर्चना की जाती है। दुर्गा माँ की नवम शक्ति का नाम सिद्धिदात्री है और नवरात्रि के नौवें दिन माँ का पूजन होता है। माँ सिद्धिदात्री सभी प्रकार की सिद्धियाँ प्रदान करने वाली हैं।  सिंह इनका वाहन है और माँ कमल पुष्प पर आसीन होती हैं।  

शक्ति के  नवदुर्गा स्वरूपों और दस महाविद्याओं में माँ काली प्रमुख हैं। भगवान आदिशिव की शक्तियों में उग्र और सौम्य रहने वाली, तथा इन दो स्वरूपों में अनेक रूप धारण कर लेने वाली दशमहाविद्या अनंत सिद्धियाँ प्रदान करने में वाली हैं। दसम स्थान पर माँ कमला वैष्णवी शक्ति हैं, माँ प्राकृतिक संपत्तियों की अधिष्ठात्री देवी लक्ष्मी हैं। देव, दानव, मनुज, मानव सभी इनकी कृपा के बिना अपूर्ण हैं, अतैव आगम और निगम दोनों में इनकी उपासना समान रूप से उल्लेखित है। सभी देव, दनुज, राक्षस, मानव, गंधर्व आदि इनकी कृपा-प्रसाद के लिए अभिलाषी रहते हैं।

भारत के विभिन्न भागों में नवरात्रि पर्व विभिन्न प्रकार से मनाया जाता है। नवरात्री को गुजरात में बड़े धूम धाम और हर्षोल्लास से मनाया जाता है। गुजरात में लोग पूरी रात गरबा डांडिया और आरती कर नवरात्र के व्रत रखते हैं। डांडिया का उत्साह बहुत ही अद्भुद होता है। देवी माँ शक्ति के सम्मान में गरबा के रूप में  भक्ति प्रदर्शन, आरती से पूर्व करते है और उसके डांडिया समारोह उसके पश्च्यात। पश्चिम बंगाल में बंगाल के लोगो का मुख्य त्यौहार दुर्गा पूजा बंगाली कैलेंडर में, सबसे उत्कृष्ट रूप में प्रदर्शित होता है। उल्लास से भरे इस महोत्सव का जश्न नीचे दक्षिण, मैसूर के राजसी क्वार्टर को नवरात्री वाले माह में प्रकाशित करके किया जाता है।

नवरात्रि महोत्सव देवी अंबा (विद्युत) का प्रतिनिधित्व करता है। नवरात्री महोत्सव को सूरज और जलवायु के प्रभावों का एक मुख्य समागम मानते है। इस समय को माँ दुर्गा की उपासना के लिए पवित्र अवसर माना जाता है। चंद्र कैलेंडर के अनुसार नवरात्री पर्व की तिथियाँ निश्चित होती हैं। नवरात्रि पर्व, माँ-दुर्गा की नवधा  भक्ति और परमात्मा की उदात्त, परम, परम रचनात्मक ऊर्जा मणि जाने वाली शक्ति के पूजन का सबसे उत्तम शुभ और अद्भुद समय माना जाता है। यह पूजन अर्चन चिर सनातन युग से, प्रागैतिहासिक काल से मनाया जाता है। ऋषियो के वैदिक युग के पश्च्यात से, नवरात्रि के दौरान की भक्ति प्रथाओं में गायत्री साधना उपासना का प्रमुख रूप हैं।

भारत के उत्तरी भाग में नवरात्रि के पर्व के समय रामलीलाओ के भी आयोजन किये जाते है। लोग इन दिनों में व्रत-उपवास रखते हैं। इस पर्व के समय व्रत उपवास न रखने वाले लोगो को भी नौ दिनों तक मांस मदिरा और नशों से दूर रहना चाहिए है।

 
 
 
 
 
 
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  Holika Dahan, 25 March 2024, Monday
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