Jyesth Amavasya in the Year 2021 will be going to observed on
ज्येष्ठ अमावस्या एक पर्व तिथि है। इस दिन स्नान, दान, जप, होम और पितरो के लिए भोजन, वस्त्र आदि देना उत्तम रहता है। ज्येष्ठ वदी अमावस्या को वट सावित्री का व्रत पूरे भारत में किया जाता है। शास्त्रों के अनुसार ज्येष्ठ वदी तेरस को प्रात: काल स्नान करके संकल्प करे और तीन दिन उपवास रखे। यदि तीन दिन व्रत करने की शक्ति सामर्थ्य न हो तो तेरस को रात होने पर भोजन करे। चौदस को बिना मांगे जो मिल जाए, उसी से ही एक समय भोजन करे।
अमावस्या को उपवास करे, स्नान ध्यान करके वट वृक्ष के पास जाकर बांस कि डलिया में सतनजा बहा कर उसको वस्त्रो से ढँक दे। दूसरी डलिया में सोने की ब्रह्मा जी, सावित्री तथा सत्यवान की सोने की मूर्ति रखे। रोली, चावल आदि से तीनो की पूजा करें। बड के वृक्ष की सूत लपेट कर पूजा करे, फेरी देवे और बड को हाथ जोड़कर घर आ जाये। ज्येष्ठ अमावस्या का यह व्रत सभी स्त्रियों के लिए एक श्रेष्ठ व्रत है। कन्याओ को अच्छा घर वर देने वाला है, सुहागिनियो को सौभाग्य, पुत्र, पौत्र, धन सम्पति व पति प्रेम देने वाला है।
अमावस्या को उपवास करे, स्नान ध्यान करके वट वृक्ष के पास जाकर बांस कि डलिया में सतनजा बहा कर उसको वस्त्रो से ढँक दे। दूसरी डलिया में सोने की ब्रह्मा जी, सावित्री तथा सत्यवान की सोने की मूर्ति रखे। रोली, चावल आदि से तीनो की पूजा करें। बड के वृक्ष की सूत लपेट कर पूजा करे, फेरी देवे और बड को हाथ जोड़कर घर आ जाये। ज्येष्ठ अमावस्या का यह व्रत सभी स्त्रियों के लिए एक श्रेष्ठ व्रत है। कन्याओ को अच्छा घर वर देने वाला है, सुहागिनियो को सौभाग्य, पुत्र, पौत्र, धन सम्पति व पति प्रेम देने वाला है।
लोकाचार में इस दिन स्त्रियां नहा धोकर अच्छे कपडे तथा गहने पहन कर बड के पेड़ के पास जाती है। दीपक जलाकर रोली से चिरचती हैं, आखा के फूल लेकर कहानी सुनती हैं, बड को सींचती व कूकडियों के कच्चे सूत को लपेटती हैं। फेरी देती हैं, सुहाग भोग की कामना करती हैं, बड के पत्ते को तोड़कर उसके छोटे छोटे टुकड़े करके मोड़कर चौकोर बनाती हैं, मोली लपेटकर अपने गहनों को बांधती हैं, रात को भिगोया हुआ बिंदिया, बाजरा(मोठ, बाजरा, चने आदि) बड पर चढाती है, घर आकर बायना निकाल कर सास, ननद या जिठानी के पैरों को छूती हैं। इसके बाद भोजन करके व्रत खोल लेती हैं।