Rambha Tritiya~रम्भा तृतीया in the Year 2023 will be celebrated on Monday, 22nd May, 2023
हिंदी विक्रमी सम्वत पंचांग अनुसार प्रतिवर्ष वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ़, श्रावण और भादपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को तीज व्रत किए जाते हैं। तीज मुख्यत: गौरी यानी पार्वती जी तथा शिवकृपा के लिए ही रखे जाते हैं, ताकि गणेशजी जैसी संतान का सुख मिले। सभी नवविवाहित और सुहागिन महिलाएं यह व्रत रखती हैं। इस दिन मंदिर अथवा घर पर ही शिव-पार्वती और गणेश जी आराधना करके, सास-ससुर से आशीर्वाद लिया जाता है। सास को पकवान व्यंजन और वस्त्र आदि भेट किए जाते हैं। जेठ सुदी तीज को माँ पार्वती का जन्म हुआ था।इस दिन पार्वती माँ के जन्म का उत्सव मनाये व व्रत रखें तो सौभाग्य की वृध्दि होती है।
रम्भा तृतीया, या रम्भा तीज, मुख्य रूप से शुक्ल पक्ष के तीसरे दिन ज्येष्ठ (मई - जून) के महीने में भारत में मनाई जाती है। यह दिन अप्सरा रामभा को समर्पित है जो देवताओ और राक्षसो के बीच हुए समुद्र मंथन के दौरान समुद्र से उत्पन्न हुई थी। भारत में कई हिंदू समुदायों की महिलाओं द्वारा उनकी पूजा की जाती है।
रम्भा एक अतिसुन्दर और योग्य अप्सरा है जोकि प्रेम और रूप का प्रतीक स्वरुप है, रम्भा समुद्र-मंथन के दौरान महासागर से निकलने वाले 14 रत्नों में से एक है। भारत के कुछ मुख्य क्षेत्रों में, रामभा तृतीया को देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है। उनको गेहूं, अनाज फल और फूल अर्पण किये जाते है। क्योंकि लक्ष्मी धन धान्य और वैभव की प्रतीक है।
रम्भा तृतीया सती माता सावित्री को समर्पित है। सावित्री व्रत पूजा इस दिन किया जाने वाला मुख्य अनुष्ठान है, इस उपवास की कथा स्कंद पुराण में भी कही गयी है। देवी माता पार्वती ने भी भगवान शिव को अपने पति के रूप में पाने के लिए इस उपवास का विधि पूर्वक पालन किया था। विवाहित महिलाएं केले की पेड़ के नीचे अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए इस व्रत को करती हैं। महिलाएं चूड़ियों की एक जोड़ी की पूजा करती हैं जो अप्सरा रामभा और देवी लक्ष्मी का प्रतीक स्वरुप है।