जीवन में धर्म सबसे महत्वपूर्ण-
हमारे देश को खतरा गद्दारों से नहीं, देश के कर्णधारों से है। खजानों की चोरी का भय चोरों से नहीं पहरेदारों से है। इसी प्रकार धर्म को खतरा नास्तिकों से नहीं धर्म के ेकेदारों से ज्यादा है। अंतरमन की आवाज जात-पात ऊंच-नीच किसी भी चीज को नहीं देखती है। जीवन में धर्म का सबसे महत्वपूर्ण स्थान है। इसके बिना जीना व्यर्थ है।
जैसे विश्व कप के समय इसमें किसी भी संप्रदाय, धर्म, समाज का स्वार्थ नहीं छुपा था। सबने एक ही आवाज में देश की जीत के लिए प्रार्थना की। राष्ट्रहित में ऐसी दुआएं धर्म हेतु भी होना चाहिए।
व्यक्ति ने व्यापार-व्यवसाय कर धन कमाकर उसे परोपकार में लगाया, जो कि महत्वपूर्ण है। हर व्यक्ति मंदिर, चर्च, गिरजाघर, गुरुद्वारा, संत दर्शन के लिए समय निकालता है, लेकिन अपने लिए वह समय नहीं निकालता। यदि उसने समय निकालकर अपने आपको टटोलना प्रारंभ कर दिया तो मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे जाने की आवश्यकता नहीं है।
मनुष्य धार्मिक स्थल पहुंचकर धर्मात्मा होने का लेबल जरूर लगवा लेता है, किंतु वास्तविक धर्मात्मा अपने अंतरमन में आंकने एवं आत्मा की आवाज को सुनने तथा अमल में लाने के बाद ही बनता है।
धर्म को अनार की तरह नहीं अपनाना चाहिए। धर्म को अपनाने के लिए अंगूर बनना पड़ेगा। अनार को खाने के लिए उसके छिलके को फेंक दिया जाता है और बीज को खाते हैं। यह अधूरा धर्म है। उसमें संपूर्णता नहीं है। वहीं अंगूर को पूरा खाया जाता है। उसमें से कुछ भी व्यर्थ नहीं फेंकते। धर्म को अंगूर की तरह संपूर्णता से अपनाना होगा तभी जीवन सार्थक होगा।
एक व्यक्ति बहुत भूखा था। वह यह सोचकर मंदिर के बाहर बै ा कि यहां आने वाला दयालु होगा और भूख शांत करेगा। मंदिर से एक से पूजा-अर्चना कर बाहर निकला तो भिखारी ने उससे याचना की, लेकिन से ने बहाना बनाकर टाल दिया।
भिखारी यहां से निराश होकर मस्जिद, गिरजाघर, गुरुद्वारा जाता है, लेकिन सभी जगह से उसे निराशा मिलती है। फिर वह मयखाने पहुंचता है। वहां उसे एक शराबी भोजन करने के लिए पचास रुपए देता है। वह भिखारी आश्चर्यचकित होकर कहता है- वाह रे भगवान! पता कहीं ओर का और मिलता कहीं ओर से।
Posted Comments |
" जीवन में उतारने वाली जानकारी देने के लिए धन्यवाद । कई लोग तो इस संबंध में कुछ जानते ही नहीं है । ऐसे लोगों के लिए यह अत्यन्त शिक्षा प्रद जानकारी है ।" |
Posted By: संतोष ठाकुर |
"om namh shivay..." |
Posted By: krishna |
"guruji mein shri balaji ki pooja karta hun krishna muje pyare lagte lekin fir mein kahi se ya mandir mein jata hun to lagta hai har bhagwan ko importance do aur ap muje mandir aur gar ki poja bidi bataye aur nakartmak vichar god ke parti na aaye" |
Posted By: vikaskrishnadas |
"वास्तु टिप्स बताएँ ? " |
Posted By: VAKEEL TAMRE |
""jai maa laxmiji"" |
Posted By: Tribhuwan Agrasen |
"यह बात बिल्कुल सत्य है कि जब तक हम अपने मन को निर्मल एवँ पबित्र नही करते तब तक कोई भी उपदेश ब्यर्थ है" |
Posted By: ओम प्रकाश तिवारी |
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