"अगर आप घर में रहते हुए संतुष्ट नहीं हैं तो घर छोड़कर कभी संतुष्ट नहीं हो सकते। भगवा कपड़े पहन कर आप संन्यासी बन भी जाएं तो मन को शांति नहीं मिलेगी। घर की जिम्मेदारियों को प्रेम से पूरा करते हुए संतुष्ट रहना और अपने उद्धार के लिए गुरु द्वारा बताए मार्ग पर चलते रहना गृहस्थ का संन्यास ही है। जिम्मेदारियों से पीछे न हटें, उन्हें निभाएं।
ईश्वरीय प्रेरणा तो अदृश्य कृपा है और वह पूर्णत: रहस्यमय है।" More