एक पत्ते को दूसरे पत्ते से अधिक पवित्र क्यों माना जाता है? क्या यह एक तरह का पक्षपात है? आखिरकार, हर चीज मिट्टी से ही उत्पन्न होती है। नीम का फल और आम का फल एक ही मिट्टी में पैदा होते हैं लेकिन उनका स्वाद कितना अलग होता है? एक जीवन उसी मिट्टी को एक तरह से ढालता है और दूसरा जीवन उसी मिट्टी को दूसरे तरीके से ढालता है। एक कृमि और एक कीड़े में क्या अंतर है? आप दूसरे मनुष्यों से कैसे अलग हैं? यह सब एक ही चीजें हैं लेकिन फिर भी इनमें अंतर है।
आप यह बात आजमा सकते हैं - बेल-पत्र को चढ़ाएं, उसे अपनी कमीज की ऊपरी जेब में रखकर घूमें, यह आपके लिए स्वास्थ्य, सुख, मानसिक सेहत, हर क्षेत्र में लाभदायक होगा।
जब लोग आध्यात्मिक मार्ग पर होते हैं, तो वे किसी भी रूप में सहायता की संभवना लगातार तलाशते रहते हैं क्योंकि यह एक अनजान डगर है। भारतीय संस्कृति में, आपकी मदद करने वाली हर छोटी से छोटी चीज को गौर से देखकर या फिर ध्यान और साधना की मदद से पहचाना गया। उन्होंने फूलों, फलों और पत्तों तक को नहीं छोड़ा। खास तौर पर बेलपत्र को पवित्र क्यों माना गया है? हमेशा यह कहा गया है कि बेलपत्र शिव को प्रिय है। ऐसा नहीं है कि वह शिव को पसंद है। जब हम कहते हैं कि वह शिव को प्रिय है, तो इसका अर्थ यह है कि किसी न किसी रूप में उसमें वही गूंज है, जो शिव में है।
हमने इस तरह की बहुत सी चीजों की पहचान की है और उन्हीं चीजों को अर्पित किया जाता है। वे चीजें आपके लिए एक साधन बन जाती हैं- उनसे संपर्क में रहने का। जब आप शिव को बेलपत्र चढ़ाते हैं, तो आप उस पत्ते को उनके पास नहीं छोड़ते। उन्हें भेंट करने के बाद आप उसे अपने साथ ले आते हैं क्योंकि इस पत्र में शिव की गूंज को आत्मसात कर लेने की सबसे अधिक क्षमता होती है। अगर आप उसे शिवलिंग पर रखकर फिर ग्रहण कर लेते हैं, तो उसमें लंबे समय तक उस प्रभाव या गूंज को कायम रखने की क्षमता होती है। वह गूंज आपके साथ रहती है। आप यह बात आजमा सकते हैं - बेल-पत्र को चढ़ाएं, उसे अपनी कमीज की ऊपरी जेब में रखकर घूमें, यह आपके लिए स्वास्थ्य, सुख, मानसिक स्थिति, हर क्षेत्र में लाभदायक होगा।
वस्तुतः क्या है ,अभी भी कुछ प्रश्न उठ सकते हैं,
लेकिन हम और यही समझकर मन को समझा सकते हैं कि हमारे पिताजी को कुछ पसन्द है और हम उन्हें वो चीज देकर या खिलाकर ,पहनाकर अगर खुशी का अनुभव करते है तो शिव को बेलपत्र पसन्द है, तो उन्हें अर्पण करें और खुशी अनुभव करें,ये दुर्लभ भी नहीं है ।
Posted Comments |
"om namh shivay..." |
Posted By: krishna |
"guruji mein shri balaji ki pooja karta hun krishna muje pyare lagte lekin fir mein kahi se ya mandir mein jata hun to lagta hai har bhagwan ko importance do aur ap muje mandir aur gar ki poja bidi bataye aur nakartmak vichar god ke parti na aaye" |
Posted By: vikaskrishnadas |
"वास्तु टिप्स बताएँ ? " |
Posted By: VAKEEL TAMRE |
""jai maa laxmiji"" |
Posted By: Tribhuwan Agrasen |
"यह बात बिल्कुल सत्य है कि जब तक हम अपने मन को निर्मल एवँ पबित्र नही करते तब तक कोई भी उपदेश ब्यर्थ है" |
Posted By: ओम प्रकाश तिवारी |
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