एक बार की बात है भस्मासुर नामक एक राक्षस को संपूर्ण विश्व पर राज करने की इच्छा हुई ।तब वह सोचने लगा कि संपूर्ण जगत पर राज करने के लिए तो उसे देवताओं के समान अमर होना चाहिए और अगर उसे अमर होना है तो उसे भगवान शिव की तपस्या करनी चाहिए क्योंकि भगवान शिव सबसे जल्दी अपने भक्तों पर प्रसन्न होते है। भस्मासुर ने भगवान शिव की कठिन तपस्या शुरू कर दी । भगवान शिव भस्मासुर की तपस्या से खुश हुए और भस्मासुर को दर्शन दिया और कहा कि उसे जो चाहिए वह मांग सकता है।
भस्मासुर बहुत प्रसन्न होकर बोला- हे प्रभु! आप तो अंतर्यामी है , आपको तो पता है कि मैं संपूर्ण जगत पर राज करना चाहता हूं इसलिए मुझे अमर होने का वरदान प्रदान करे। भगवान शिव ने कहा - हे वत्स! मैं तुम्हारी तपस्या से प्रसन्न हूं पर यह वरदान मैं नहीं दे सकता । क्योंकि यह संसार के नियमों के विरूद्ध है , जिसने इस संसार में जन्म लिया है उसका मरना निश्चित है।
भस्मासुर फिर भी अपनी बात पर अडिग रहा पर जब उसने देखा कि भगवान शिव इस बात के लिए राजी नहीं हो रहे तो उसने कहा कि -प्रभु आप मुझे ऐसा वरदान दे कि मैं जिसके माथे पर अपना हाथ रखुंगा वह जलकर भस्म हो जाएगा। ….. भगवान शिव ने कहा- ऐसा ही होगा।
अब जब भस्मासुर को वरदान प्राप्त हो गया तो उसने सोचा क्यों न एक बार वरदान की सत्यता जांच की जाए। तब उसने भगवान शिव के माथे पर हाथ रखने की सोची। भगवान शिव उसकी मंशा समझ गए और वहां से अंतर्ध्यान हो गए ।
पर भस्मासुर तो उनके पीछे पड़ गया । तब भगवान शिव को भगवान विष्णु का ध्यान आया । भगवान विष्णु भगवान शिव की समस्या समझ गए और भस्मासुर से भगवान शिव की रक्षा के लिए मोहिनी रूप धारण किया। मोहिनी रूप धारण कर भगवान विष्णु भस्मासुर के सामने आए। भस्मासुर ने जब मोहिनी को देखा तो वह उसपर मोहित हो गया और भगवान शिव का वरदान उसे याद नहीं रहा । उसने मोहिनी से कहा -हे सुंदरी। तुम्हारा नाम क्या है? मैं तुम्हारे रूप पर मोहित हो गया हूं क्या तुम मुझसे विवाह करोगी?
तब मोहिनी ने कहा कि - मैं एक नृत्यांगना हूं और मैं शादी भी उसी से करूंगी जो नृत्य कला में निपुण होगा। अब भस्मासुर क्या करता उसने तो कभी नृत्य नहीं किया था । तब वह बोला- हे सुंदरी, मैंने तो कभी नृत्य नही किया है पर अगर तुम मुझे नृत्य सिखाओ तो मैं सिख सकता हूँ । तब मोहिनी बोली कि मैं जैसे-जैसे करूंगी तुम भी वैसे ही करना। भस्मासुर को नृत्य सिखाते समय मोहिनी ने अपना हाथ अपने माथे पर रखा उसे देखकर भस्मासुर ने भी अपना हाथ अपने माथे पर रख दिया और जलकर भस्म हो गया।Posted Comments |
" जीवन में उतारने वाली जानकारी देने के लिए धन्यवाद । कई लोग तो इस संबंध में कुछ जानते ही नहीं है । ऐसे लोगों के लिए यह अत्यन्त शिक्षा प्रद जानकारी है ।" |
Posted By: संतोष ठाकुर |
"om namh shivay..." |
Posted By: krishna |
"guruji mein shri balaji ki pooja karta hun krishna muje pyare lagte lekin fir mein kahi se ya mandir mein jata hun to lagta hai har bhagwan ko importance do aur ap muje mandir aur gar ki poja bidi bataye aur nakartmak vichar god ke parti na aaye" |
Posted By: vikaskrishnadas |
"वास्तु टिप्स बताएँ ? " |
Posted By: VAKEEL TAMRE |
""jai maa laxmiji"" |
Posted By: Tribhuwan Agrasen |
"यह बात बिल्कुल सत्य है कि जब तक हम अपने मन को निर्मल एवँ पबित्र नही करते तब तक कोई भी उपदेश ब्यर्थ है" |
Posted By: ओम प्रकाश तिवारी |
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