बच्चों से प्रेम करो, उन्हें स्वतंत्रता दो। उन्हें भूलें करने दो, भूलों को समझने में उनका सहयोग करो। उन्हे बताओ - गलती करना गलत नहीं है। जितना हो सके, गलतियां करो क्योंकि इसी तरह तुम सीख पाओगे, लेकिन वही गलती बार - बार मत दोहराओ क्योंकि यह मूर्खता है। तुम्हें बच्चों के साथ निरंतर इस कार्य को करना पड़ेगा, उन्हें छोटी - छोटी चीजों में स्वतंत्रता देनी होगी। सिद्धांत यह होना चाहिए कि बच्चों को उनके शरीर पर ध्यान देने की शिक्षा दो। उनकी आवश्यकताओं पर ध्यान देने की शिक्षा देनी चाहिए।
अभिभावकों के लिए मूल बात बच्चों को उसी गड्ढे में गिरने से रोकना है। उनके अनुशासन का कार्य नकारात्मक है। नकारात्मक शब्द को स्मरण रखना। कोई विधायक सोच नहीं बल्कि एक नकारात्मक सुरक्षा क्योंकि बच्चे तो बच्चे ही हैं और वे ऐसा कुछ भी कर सकते हैं जिससे उन्हें हानि हो, तकलीफ हो।
इसलिए अभिभावक का कार्य बहुत नाजुक है और बहुत कीमती भी क्योंकि बच्चे का सारा जीवन इसी पर निर्भर है। उसे कोई भी निर्धारित सोच मत दो - उसे हर प्रकार से सहयोग जैसे भी वह चाहता है।
एक माता - पिता का कार्य बहुत महान है क्योंकि वे एक ऐसे अतिथि को संसार में ला रहे हैं जो अभी अंजान है लेकिन उसमें संभावना है और जब तक उसकी संभावना विकसित न हो वह आनंदित नहीं हो सकता।
इसलिए उसकी स्वतंत्रता में हर प्रकार से सहयोग करो। अवसर दो। सामान्यतः कोई बच्चा यदि मां से कुछ पूछता है तो बिना सुने ही कि वह क्या कह रहा है - मां कह देती है - नहीं। नहीं शब्द में एक अधिकार है। हां में नहीं। इसलिए न तो पिता, न मां और न ही और कोई हां कहना चाहता है - किसी सामान्य बात के लिए भी नहीं।
बच्चा घर से बाहर जाकर खेलना चाहते है – नहीं , बच्चा बाहर जाकर बारिश में भीगना चाहता है, नाचना चाहता है - नहीं, तुम्हें जुकाम हो जाएगा। जुकाम कोई केंसर नहीं है। लेकिन एक बच्चा जिसे बारिश में नाचने से रोक दिया गया, कभी भी नृत्य नहीं कर पाएगा। वह कुछ चूक गया है जो बहुत सुंदर था। इससे तो जुकाम ही ठीक था और यह कोई जरूरी भी नहीं कि उसे जुकाम हो ही जाएगा। सच तो यह है कि जितना अधिक तुम उसे सुरक्षा देते हो उतना ही वह नाजुक हो जाता है। जितना ज्यादा तुम उसे स्वीकार करते हो वह उतना ही समर्थ हो जाता है।
अभिभावक को हा कहना सीखना पड़ेगा। निन्यानवें प्रतिशत मामलों में जहां वे सामान्य तौर पर न कहते हैं - मात्र अपना अधिकार जताने के लिए ही होता है। हर कोई देश का राष्ट्रपति तो हो नहीं सकता, लाखों लोगों पर अधिकार नहीं कर सकता लेकिन हर कोई पति हो सकता है, पत्नी पर अधिकार कर सकता है। हर पत्नी एक मां हो सकती है, बच्चे पर अधिकार कर सकती है। हर बच्चे के पास खिलोना हो सकता है, वह उस पर अधिकार रख सकता है... जिसे वह इस कोने से उस कोने फेंके, उसकी पिटाई करे, जैसे वह अपनी मां या पिता की करना चाहता था और बेचारे खिलोने के नीचे कोई भी नहीं है।
Posted Comments |
" जीवन में उतारने वाली जानकारी देने के लिए धन्यवाद । कई लोग तो इस संबंध में कुछ जानते ही नहीं है । ऐसे लोगों के लिए यह अत्यन्त शिक्षा प्रद जानकारी है ।" |
Posted By: संतोष ठाकुर |
"om namh shivay..." |
Posted By: krishna |
"guruji mein shri balaji ki pooja karta hun krishna muje pyare lagte lekin fir mein kahi se ya mandir mein jata hun to lagta hai har bhagwan ko importance do aur ap muje mandir aur gar ki poja bidi bataye aur nakartmak vichar god ke parti na aaye" |
Posted By: vikaskrishnadas |
"वास्तु टिप्स बताएँ ? " |
Posted By: VAKEEL TAMRE |
""jai maa laxmiji"" |
Posted By: Tribhuwan Agrasen |
"यह बात बिल्कुल सत्य है कि जब तक हम अपने मन को निर्मल एवँ पबित्र नही करते तब तक कोई भी उपदेश ब्यर्थ है" |
Posted By: ओम प्रकाश तिवारी |
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