अन्य देशों के लिये सूर्य ग्रहण का आध्यामित्क महत्व न होकर वैज्ञानिक महत्व विशेष रुप से है. वैज्ञानिकों के लिये यह दिन किसी बडे उत्सव से कम महत्व नहीं रखता है. इस दिन वैज्ञानिकों को शोध करने के नवीन अवसर प्राप्त होते है. कई बार लम्बे समय तक ऎसे समय का इन्तजार करते है. क्योंकि ब्रह्माण्ड को समझने में सूर्य ग्रहण के दिन का खास प्रयोग किया जाता है.
ऎसे में वैज्ञानिकों को नये-नये तथ्यों पर रिसर्च करने का अनुभव प्राप्त होता है. सूर्य ग्रहण के दिन सूर्य से निकलने वाली विकरणों का अध्ययन कर, इस दिन का वैज्ञानिक दुनिया के सामने नई जानकारी लाने का प्रयास करते है.
किसी खगोलीय पिण्ड का पूर्ण अथवा आंशिक रुप से किसि अन्य पिण्ड से ढ्क जाना या पीछे आ जाना ग्रहण कहलाता है. जब कोई खगोलीय पिण्ड किसी अन्य पिण्ड द्वारा बाधित होकर नजर नहीं आता, तब ग्रहण होता है. सूर्य प्रकाश पिण्ड है, जिसके चारों ओर ग्रह घूम रहे है. अपनी कक्षाओं में घूमते हुए जब तीन खगोलीय पिण्ड एक रेखा में आ जाते है. तब ग्रहण होता है.
सूर्य ग्रहण तब होता है, जब सूर्य आंशिक अथवा पूर्ण रुप से चन्द्रमा द्वारा आवृ्त हो जाए. इस प्रकार के ग्रहण के लिये चन्दमा का प्रथ्वी और सूर्य के बीच आना आवश्यक है. इससे पृ्थ्वी पर रहने वाले लोगों को सूर्य का आवृ्त भाग नहीं दिखाई देता है.
सूर्यग्रहण होने के लिये निम्न शर्ते पूरी होनी आवश्यक है.
रेखांश से अभिप्राय उत्तरी ध्रुव को दक्षिणी ध्रुव से मिलाने वाली रेखाओं को रेखांश कहा जाता है. तथा भूमध्य रेखा के चारो वृ्ताकार में जाने वाली रेखाओं को अंक्षाश के नाम से जाना जाता है.
सूर्य ग्रहण सदैव अमावस्या को ही होता है. जब चन्द क्षीणतम हो और सूर्य पूर्ण क्षमता संपन्न तथा दीप्त हों. चन्द्र और राहू या केतु के रेखांश बहुत निकट होने चाहीए. चन्द्र का अक्षांश लगभग शून्य होना चाहिये और यह तब होगा जब चंद्र रविमार्ग पर या रविमार्ग के निकट हों, सूर्य ग्रहण के दिन सूर्य और चन्द्र के कोणीय व्यास एक समान होते हे. इस कारण चन्द सूर्य को केवल कुछ मिनट तक ही अपनी छाया में ले पाता है.
सूर्य ग्रहण के समय जो क्षेत्र ढक जाता है. उसे पूर्ण छाया क्षेत्र कहते है. चन्द्र छाया की गति 1800 कि. मीटर से 8000 कि. मिटर प्रति घण्टा होती है. परन्तु यह चन्द्र की स्थिति पर निर्भर करती है. इस कारण सूर्यग्रहण किसी भी स्थान पर साढे सात मिनट से अधिक नहीं हो सकता है.
पूर्ण सूर्य ग्रहण उस समय होता है जब चन्द्रमा पूरी तरह से पृ्थ्वी को अपने छाया क्षेत्र में ले लेता है. इसके फलस्वरुप सूर्य का प्रकाश पृ्थ्वी तक पहुंच नहीं पाता है. और पृ्थ्वी पर अंधकार जैसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है. इस प्रकार बनने वाला ग्रहण पूर्ण सूर्य ग्रहण कहलाता है.
आंशिक सूर्यग्रहण में चन्दमा, सूर्य के केवल कुछ भाग को ही अपनी छाया में ले पाता है. इससे सूर्य का कुछ भाग ग्रहण ग्रास में तथा कुछ भाग ग्रहण से अप्रभावित रहता है. इसे आंशिक सूर्यग्रहण कहा जाता है.
तीसरे और अंतिम प्रकार का सूर्य ग्रहण वलय सूर्यग्रहण के नाम से जाना जाता है. इस प्रकार के ग्रहण के समय चन्द्र सूर्य को इस प्रकार से ढकता है, कि सूर्य का केवल मध्य भाग ही छाया क्षेत्र में आता है. सूर्य के बाहर का क्षेत्र प्रकाशित होने के कारण कंगन के समान प्रतीत होता हे. कंगन आकार में बने सूर्यग्रहण को ही वलय सूर्यग्रहण कहा जाता है.
सूर्य ग्रहण पर की जा रही लम्बी रिसर्च से यह सामने आया है कि प्रत्येक वर्ष में कम से कम सूर्य ग्रहण की घटना देखने को मिलती है. सूर्य एक प्राकृ्तिक अद्धभुत घटना है. पूरे सौ सालों में इस प्रकार दो सौ से अधिक सूर्य ग्रहण होने की संभावनाएं बनती है. यह आवश्यक नहीं है कि होने वाले सभी सूर्य ग्रहणों को भारत में देखा जा सके, अपितु इनमें से कुछ ही भारत में देखे जा सकेगें. प्रति वर्ष में जो संख्या बताई गई है, वह कम से कम है. परन्तु कभी-कभी एक ही वर्ष में 2 से 5 सूर्य ग्रहण भी देखे जा सकते है. जैसे 2012 में कुल 3 सूर्यग्रहण होगें
वर्ष 2012 में 3 सूर्यग्रहण
Posted Comments |
" जीवन में उतारने वाली जानकारी देने के लिए धन्यवाद । कई लोग तो इस संबंध में कुछ जानते ही नहीं है । ऐसे लोगों के लिए यह अत्यन्त शिक्षा प्रद जानकारी है ।" |
Posted By: संतोष ठाकुर |
"om namh shivay..." |
Posted By: krishna |
"guruji mein shri balaji ki pooja karta hun krishna muje pyare lagte lekin fir mein kahi se ya mandir mein jata hun to lagta hai har bhagwan ko importance do aur ap muje mandir aur gar ki poja bidi bataye aur nakartmak vichar god ke parti na aaye" |
Posted By: vikaskrishnadas |
"वास्तु टिप्स बताएँ ? " |
Posted By: VAKEEL TAMRE |
""jai maa laxmiji"" |
Posted By: Tribhuwan Agrasen |
"यह बात बिल्कुल सत्य है कि जब तक हम अपने मन को निर्मल एवँ पबित्र नही करते तब तक कोई भी उपदेश ब्यर्थ है" |
Posted By: ओम प्रकाश तिवारी |
Vegetarian Recipes | |
» | Sondesh |
» | Roasted Bananas with Jamaican Allspice |
» | PINDI CHANA RECIPE |
» | Jamaican Tempeh Patties |
» | Buckwheat Dosa |
» | Drumstick Curry |
» | Brazilian Black Bean Stew |
» | Simple Pasta with Zucchini |
More |
Upcoming Events | |
» | Mahavir Jayanti, 21 April 2024, Sunday |
» | Hanuman Janmotsav, 23 April 2024, Tuesday |
» | Akshaya Tritiya, 10 May 2024, Friday |
» | Parshuram Jayanti, 10 May 2024, Friday |
» | Buddha Purnima, 23 May 2024, Thursday |
» | Narada Jayanti, 24 May 2024, Friday |
More |
Hanging lead crystal | |
Ways Feng Shui Help | |
How Feng Shui Works | |
View all |
Ganesha Prashnawali |
Ma Durga Prashnawali |
Ram Prashnawali |
Bhairav Prashnawali |
Hanuman Prashnawali |
SaiBaba Prashnawali |
|
|
Dream Analysis | |