सत्संग शब्द समझने जैसा है।
यह भी भारत का अपना शब्द है।
सत्संग का अर्थ होता है,
गुरु के साथ होना–सिर्फ साथ होना,
गुरु के पास होना। एक समीपता,
आत्मीयता! बस, इतना काफी है।
जैसे वैज्ञानिक कहते हैं,
कैटलिटिक एजेंट होता है,
जिसकी मौजूदगी में घटनाएं घट जाती हैं
बिना उसके सहयोग के।
गुरु कुछ करता नहीं।
अगर तुम उसकी मौजूदगी में मौजूद हो जाओ,
अगर तुम उसके आभा-मंडल में स्नान कर जाओ,
अगर तुम उसके पास आ जाओ,
और उसकी तरंगों में लीन हो जाओ,
वह जिस जगत में बह रहा है,
अगर क्षण भर को तुम अपनी नौका
उसके जगत में छोड़ दो
और उसके साथ बह जाओ;
अगर तुम थोड़ी देर उसके तीर्थ में स्नान कर लो,
तो सब हो जाता है।
लेकिन गुरु के पास होना बड़ी कला है।
बड़ा धैर्य चाहिए,
बड़ा संतोष चाहिए।
जल्दबाजी काम न आएगी।
मांग से तुम गुरु से दूर हो जाओगे।
बिना मांगे उसके पास रहो।
तुम यह भी मत कहो,
कि कब घटेगी घटना?
तुम सिर्फ प्रतीक्षा करो
और प्रेम करो
और प्रार्थना करो।
सत्संग का अर्थ है: मांगो मत, सिर्फ मौजूद रहो।
जब भी तुम पूरे होओगे,
जब भी घड़ी पकेगी,
जब भी मौसम आएगा–और हर
चीज का मौसम है;
और हर बात की घड़ी है;
और हर चीज के पकने का समय है–
जब भी पकोगे,
गुरु की नजर तुम पर पड़ेगी।
वह सदा मौजूद है,
तुम भर मौजूद हो जाओ।
जब तुम्हारी दोनों की मौजूदगियां मिल जाएंगी;
जैसे एक बुझा हुआ दीया जले हुए दीये के
करीब–और करीब,
और करीब आता जाए और एक क्षण में
लपट छलांग ले ले;
जलता हुआ दीया झपटे और
बुझे हुए दीये में ज्योति पकड़ जाए।
मजा यह है कि
जलते हुए दीये का कुछ खोता नहीं,
उसकी ज्योति में कोई कमी नहीं आती।
हजार दीये जल जाएं उससे,
तो भी उसकी
ज्योति उसकी ज्योति बनी रहती है।
कोई फर्क नहीं पड़ता।
बुझे हुए दीयों को बहुत मिल जाता है
और जले हुए दीये का कुछ भी नहीं खोता।
सत्संग की कला जले हुए दीये
के करीब सरकने की कला है।
Posted Comments |
" जीवन में उतारने वाली जानकारी देने के लिए धन्यवाद । कई लोग तो इस संबंध में कुछ जानते ही नहीं है । ऐसे लोगों के लिए यह अत्यन्त शिक्षा प्रद जानकारी है ।" |
Posted By: संतोष ठाकुर |
"om namh shivay..." |
Posted By: krishna |
"guruji mein shri balaji ki pooja karta hun krishna muje pyare lagte lekin fir mein kahi se ya mandir mein jata hun to lagta hai har bhagwan ko importance do aur ap muje mandir aur gar ki poja bidi bataye aur nakartmak vichar god ke parti na aaye" |
Posted By: vikaskrishnadas |
"वास्तु टिप्स बताएँ ? " |
Posted By: VAKEEL TAMRE |
""jai maa laxmiji"" |
Posted By: Tribhuwan Agrasen |
"यह बात बिल्कुल सत्य है कि जब तक हम अपने मन को निर्मल एवँ पबित्र नही करते तब तक कोई भी उपदेश ब्यर्थ है" |
Posted By: ओम प्रकाश तिवारी |
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