> १॰ अकस्मात् धन लाभ के लिए सफेद कपड़े की ध्वजा को पीपल वृक्ष पर लगाना चाहिए । यदि व्यवसाय में आकस्मिक व्यवधान एवं पतन की सम्भावना प्रबल हो रही हो, तो यह प्रयोग करने से स्थिरता आती है तथा व्यावसायिक बाधाएँ दूर होती हैं ।
> २॰ सूने कुएँ पर दीपक जलाने से शत्रु-शमन होता है । दीपक रात्रि के समय या सन्ध्या के समय जलाना चाहिए । यदि इक्कीस दिन तक लगातार यह प्रयोग किया जाए तथा दीपक जलाते समय शत्रु का नाम लेकर अपनी अभिलाषा को मन-ही-मन कहा जाए, तो वह अवश्य ही पूरी होती हैं । इस प्रयोग में मिट्टी के पके हुए नए दीपकों को स्वच्छ जल से धोकर प्रयोग में लेना चाहिए तथा कड़वे तेल (सरसों) में आक की रुई की बत्ती बनाकर जलाना चाहिए । दीपक जलाने के बाद मुड़कर नहीं देखना चाहिए । यदि प्रयोग के दौरान अगले दिन कुएँ पर दीपक गायब हो जाए, तो चिन्तित नहीं होना चाहिए ।
> ३॰ स्थायी सुख-समृद्धि के लिए पीपल के वृक्ष पर उसकी छाया में खड़े होकर जल चढ़ाना चाहिए । जल चढ़ाने हेतु लोहे का पात्र लेना चाहिए । जल में कुछ चीनी, घी एवं दूध भि मिलाना चाहिए । यदि जीवन में संघर्षमय स्थिति हो, तो इस प्रयोग को शनिवार को प्रारम्भ करके नियमित करना चाहिए । इसके लिए प्रतिदिन प्रातःकाल स्नान के बाद सर्वप्रथम पीपल वृक्ष पर जल चढ़ाने का नियम बनाना चाहिए । इस प्रयोग से जीवन में चमत्कारिक रुप से अनुकूलता पैदा होने लगती है ।
> ४॰ काली गुंजा की विशेषता है कि जिस व्यक्ति के पास होती है, उस पर मुसीबत पड़ने पर इसका रंग स्वतः ही बदलने लगता है ।
> ५॰ चावल, दही और सत्तू का रात्रि के समय सेवन करने से लक्ष्मी का निरादर होता है । अतः समृद्धि के इच्छुक व्यक्तियों को तथा जिन व्यक्तियों को आर्थिक संकट रहते हों, उन्हें इनका सेवन रात्रि में नहीं करना चाहिए ।
> ६॰ घर के मुख्य द्वार पर प्रतिदिन सरसों के तेल का दीपक जलाएँ तथा दीपक बुझ जाने पर बचे हुए तेल को पीपल के पेड़ पर संध्या के समय चढ़ा दें । इस प्रकार सात शनिवार तक लगातार करने से भीषण आर्थिक संकटों से मुक्ति मिलती है । इस प्रयोग का प्रारम्भ भी किसी शनिवार से ही करना चाहिए ।
> ७॰ जिस व्यक्ति के ऊपर बहुत अधिक जिम्मेदारियाँ हो तथा जिम्मेदारियों की पूर्ति हेतु धन की आवश्यकता हो, उस व्यक्ति को शुक्रवार के दिन कमल का पुष्प लाकर अपनी तिजोरी अथवा किसी अलमारी में लाल वस्त्र में लपेटकर रखना चाहिए । ऐसा करने से व्यक्ति अपने कर्त्तव्यों के निर्वहन हेतु आवश्यक धन सरलतापूर्वक जुटा लेता है ।
> ८॰ यदि किसी कार्य में सफलता नहीं मिलती हो तथा व्यवसाय में अस्थिरता रहती हो, तोनागकेशर का पौधा किसी शुभ मुहूर्त में लाकर घर में लगाना चाहिए तथा नियमित रुप से उसकी देखभाल करनी चाहिए । जैसे-जैसे पौधा वृद्धि करेगा वैसे-वैसे उस व्यक्ति की आर्थिक स्थिति भी सुदृढ़ होती जायेगी ।
> ९॰ तंत्र-मंत्र साधना में सफलता के इच्छुक व्यक्तियों को गूलर की लकड़ी के पट्टे पर बै कर यंत्र निर्माण करना चाहिए । विभिन्न कार्यों की सफलता के लिए व्यक्ति को गूलर की लकड़ी के पट्टे पर बै कर दीपक जलाना चाहिए ।
> १०॰ यदि आपके द्वारा किए गए टोने-टोटके, तंत्र-मंत्र आदि के प्रयोग सफल नहीं होते हों, तो गूलर के दो फल लाकर अपने पास रखने चाहिए । सामान्यतः गूलर के फल प्रारम्भ में झरबेरी के फल के समान होते हैं, जो धीरे-धीरे बड़े होकर नींबू के बराबर हो जाते हैं । ये कच्ची अवस्था में हरे तथा पकने पर लाल होते हैं । जिस व्यक्ति के पास पके हुए गूलर के फल होते हैं, भगवान् दत्तात्रेय की कृपा उस पर होती है तथा उस व्यक्ति के द्वारा किए गए तंत्र-मंत्र के प्रयोग, टोने-टोटके बिना किसी बाधा के सफल; होते हैं ।
Posted Comments |
" जीवन में उतारने वाली जानकारी देने के लिए धन्यवाद । कई लोग तो इस संबंध में कुछ जानते ही नहीं है । ऐसे लोगों के लिए यह अत्यन्त शिक्षा प्रद जानकारी है ।" |
Posted By: संतोष ठाकुर |
"om namh shivay..." |
Posted By: krishna |
"guruji mein shri balaji ki pooja karta hun krishna muje pyare lagte lekin fir mein kahi se ya mandir mein jata hun to lagta hai har bhagwan ko importance do aur ap muje mandir aur gar ki poja bidi bataye aur nakartmak vichar god ke parti na aaye" |
Posted By: vikaskrishnadas |
"वास्तु टिप्स बताएँ ? " |
Posted By: VAKEEL TAMRE |
""jai maa laxmiji"" |
Posted By: Tribhuwan Agrasen |
"यह बात बिल्कुल सत्य है कि जब तक हम अपने मन को निर्मल एवँ पबित्र नही करते तब तक कोई भी उपदेश ब्यर्थ है" |
Posted By: ओम प्रकाश तिवारी |
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