1. यदि किसी ने आपके व्यवसाय अथवा निवास पर कोई तंत्र क्रिया करवा रखी हो, तो होली की रात्रि में जिस स्थान पर होलिका दहन हो, उस स्थान पर एक गड्ढा खोदकर उसमें 11 अभिमंत्रित कौड़ियाँ दबा दें। अगले दिन कौड़ियों को निकालकर व्यवसाय स्थल की मिट्टी के साथ नीले वस्त्र में बांधकर बहते जल में प्रवाहित कर दें। तंत्र क्रिया नष्ट हो जाएगी।
2. यदि आपके कार्यों में लगातार बाधाएँ आ रही हो, अथवा घर में अचानक ही अप्रिय घटनाएँ घटित होती हों, जिसके कारण बड़ी हानि उठानी पड़ती हो अथवा आपको लगता हो कि आपके घर पर कोई ऊपरी चक्कर है अथवा किसी ने कोई बन्दिश करवा दी है, तो आप इस उपाय के माध्यम से उपरोक्त सभी समस्याओं से मुक्ति पा सकते हैं।
होली की रात्रि में घर में किसी शुद्ध स्थान पर गोबर से लीपकर उसपर अष्टदल बनाएं। फिर एक बाजोट रखकर लाल वस्त्र बिछाकर उस पर अभिमंत्रित 3 लघु नारियल तथा श्री हनुमान यंत्र को स्थान दें। इसके बाद एक पात्र में थोड़ा-सा गाय का कच्चा दूध रखें तथा अलग से पंचगव्य रखें। फिर नारियल व यंत्र पर रोली से तिलक करके प्रभु श्री हनुमान् जी से अपनी समस्या के समाधान का निवेदन करें और गुड़ का भोग लगाएँ।
तत्पश्चात् शुद्ध घी के दीपक के साथ चन्दन की अगरबत्ती व गुग्गुल की धूप अर्पित करें। फिर ताँबे की प्लेट पर रोली से “ॐ हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट्” मंत्र लिखकर एक सामान्य नारियल को फोड़कर (पधारकर) उसके पानी को अपने साधना स्थल पर छिड़क दें और नारियल को प्लेट के पास रख दें।
फिर मूंगे की माला से “ॐ घण्टाकर्णो महावीर सर्व उपद्रव नाशय कुरु-कुरु स्वाहा” मंत्र की तीन माला का जप करें । मंत्र समाप्त होने के बाद प्रणाम करके बाहर आ जाएँ । गाय के दूध को अपने घर के चारों ओर घुमते हुए धारा के रुप में बिखराकर कवच जैसा बना दें और पंचगव्य से मुख्यद्वार को लीप दें।
अगले दिन स्नान करके प्रभु को भोग व धूप-दीप अर्पत करके घण्डाकर्ण मंत्र की पुनः तीन माला का जप करें। इस प्रकार यह क्रिया लगातार 11 दिन तक करें। 11 वें दिन मंत्र जप के बाद 14 - 18 वर्ष के किसी लड़के को भोजन कराकर दक्षिणा और वस्त्र आदि दें। फिर उसका चरण स्पर्श कर विदा करें। उसके जाने के बाद लाल वस्त्र पर लघु नारियल, यंत्र और टूटा नारियल रखकर एक पोटली का रुप दें। उसको किसी लकड़ी के डिब्बे में रखकर अपने घर में कहीं भी गड्ढा खोदकर दबा दें।
अब ताँबे की जिस प्लेट में आपने प्रभु का नाम लिखा था, उसमें गंगाजल डालकर धो लें और उस जल को अपने घर में छिड़क दें। यदि आप किसी फ्लैट में रहते हों, जहाँ आपको पोटली दबाने का स्थान न मिले, तो अपने फ्लैट के पास किसी कच्चे स्थान पर दबा सकते हैं। इस उपाय से कुछ ही समय बाद आप चमत्कारिक परिवर्तन अनुभव करेंगे। यदि यह उपाय होली पर नहीं कर पाते, तो शुक्ल पक्ष के प्रथम मंगलवार से आरम्भ करें। सभी समस्या दूर हो जायेगी।
3. व्यवसाय में सफलता के लिए जब होली जल जाए, तब आप होलिका की थोड़ी-सी अग्नि ले आएं। फिर अपने दुकान एवं व्यवसाय स्थल के आग्नेय कोण में उस अग्नि की मदद से सरसों के तेल का दीपक जला दें। इस उपाय से आपके दुकान व व्यवसाय स्थल की सारी नकारात्मक ऊर्जा जलकर समाप्त हो जाएगी। इससे आपके दुकान एवं व्यवसाय में सफलता मिलेगी।
4. यदि आपके परिवार अथवा परिचितों में कोई व्यक्ति अधिक समय से अस्वस्थ हो, तो उसके लिए यह उपाय लाभकारी होगा। होली की रात्रि में सफेद वस्त्र में 11 अभिमंत्रित गोमती चक्र, नागकेसर के 21 जोड़े तथा 11 धनकारक कौड़ियाँ बांधकर कपड़े पर हरसिंगार तथा चन्दन का इत्र लगाकर रोगी पर से सात बार उसारकर किसी शिव मन्दिर में अर्पित करें। व्यक्ति तुरन्त स्वस्थ होने लगेगा। यदि बिमारी गम्भीर हो, तो यह क्रिया शुक्ल पक्ष के प्रथम सोमवार से आरम्भ करके लगातार 7 सोमवार को करें।
5. यदि आप अपना कोई विशेष कार्य सिद्ध करना चाहते हों अथवा कोई व्यक्ति गम्भीर रुप से रोगग्रस्त हो, तो होली की रात्रि में किसी काले कपड़े में काली हल्दी तथा खोपरे में बूरा भरकर पोटली बनाकर पीपल के वृक्ष के नीचे गड्ढा खोदकर दबा दें। फिर पीपल के वृक्ष को आटे से निर्मित सरसों के तेल का दीपक, धूप-अगरबत्ती तथा मीठा जल अर्पित करें। इसके बाद आठ अभिमंत्रित गोमती चक्र पीपल पर ही छोड़कर पीछे देखे बिना घर आ जाएं।
शुक्ल पक्ष के प्रथम शनिवार को जाकर सिर्फ उपरोक्त प्रकार से दीपक व धूप-अगरबत्ती अर्पित करके, छोड़े गए गोमती चक्र ले आएं। जब तक कार्य सिद्ध न हो, वह गोमती चक्र अपनी जेब में रखें अथवा जो व्यक्ति रोग-ग्रस्त हो, उसके सिरहाने रख दें। कुछ ही समय में आपके कार्य सिद्ध होने लगेंगे अथवा अस्वस्थ व्यक्ति स्वस्थ लाभ करेगा।
6. यदि आप आर्थिक संकट से ग्रस्त हैं, तो जिस स्थान पर होलिका जलती हो, उस स्थान पर गड्ढा खोदकर अपने मध्यमा अंगुली के लिए बनने वाले छल्ले की मात्रा के अनुसार चाँदी, पीतल व लोहा दबा दें। फिर मिट्टी से ढककर लाल गुलाल से स्वस्तिक का चिह्न बनाएं।
जब आप होलिका पूजन को जाएं, तो पान के एक पत्ते पर कपूर, थोड़ी-सी हवन सामग्री, शुद्ध घी में डुबोया लौंग का जोड़ा तथा बतासे रखें। दूसरे पान के पत्ते से उस पत्ते को ढक दें और सात बार परिक्रमा करते हुए “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जप करें। परिक्रमा समाप्त होने पर सारी सामग्री होलिका में अर्पित कर दें तथा पूजन के बाद प्रणाम करके घर वापस आ जाएं। अगले दिन पान के पत्ते वाली सारी नई सामग्री ले जाकर पुनः यही क्रिया करें। जो धातुएं आपने दबाई हैं, उनको निकाल लाएं।
फिर किसी सुनार से तीनों धातुओं को मिलाकर अपनी मध्यमा अंगुली के माप का छल्ला बनवा लें। 15 दिन बाद आने वाले शुक्ल पक्ष के गुरुवार को छल्ला धारण कर लें। जब तक आपके पास यह छल्ला रहेगा, तब तक आप कभी भी आर्थिक संकट में नहीं आएंगे।
7. यदि आप किसी प्रकार की आर्थिक समस्या से ग्रस्त हैं, तो होली पर यह उपाय अवश्य करें। होली की रात्रि में चन्द्रोदय होने के बाद अपने निवास की छत पर अथवा किसी खुले स्थान पर आ जाएं। फिर चन्द्रदेव का स्मरण करते हुए चाँदी की एक प्लेट में सूखे छुहारे तथा कुछ मखाने रखकर शुद्ध घी के दीपक के साथ धूप एवं अगरबत्ती अर्पित करें।
अब दूध से अर्घ्य प्रदान करें। अर्घ्य के बाद कोई सफेद प्रसाद तथा केसर मिश्रित साबूदाने की खीर अर्पित करें। चन्द्रदेव से आर्थिक संकट दूर कर समृद्धि प्रदान करने का निवेदन करें। बाद में प्रसाद और मखानों को बच्चों में बांट दें। आप प्रत्येक पूर्णिमा को चन्द्रदेव को दूध का अर्घ्य अवश्य दें। कुछ ही दिनों में आप अनुभव करेंगे कि आर्थिक संकट दूर होकर समृद्धि बढ़ रही है।
8. होली के दिन अपने घर पर अथवा व्यावसायिक प्रतिष्ठान में सूर्य डूबने से पहले धूप-दीप करें। घर व प्रतिष्ठान की सारी लाइट जला दें तथा मन्दिर के सामने माँ लक्ष्मी का कोई मंत्र 11 बार मानसिक रुप से जपें। तत्पश्चात् घर अथवा प्रतिष्ठान की कोई भी कील लाकर जिस स्थान पर होली जलनी हो, वहां की मिट्टी में दबा दें।
अगले दिन उस कील को निकालकर मुख्य-द्वार के बाहर की मिट्टी में दबा दें। इस उपाय से आपके निवास अथवा प्रतिष्ठान में किसी प्रकार की नकारात्मक शक्ति का प्रवेश नहीं होगा। आप आर्थिक संकट में भी नहीं आएंगे।
9. यदि आप पर किसी प्रकार का कोई कर्ज है, तो होली की रात्रि में यह उपाय करके कर्ज से मुक्ति पा सकते हैं। जिस स्थान पर होली जलनी हो, उस स्थान पर एक छोटा-सा गड्ढा खोदकर उसमें तीन अभिमंत्रित गोमती चक्र तथा तीन कौड़ियाँ दबा दें।
फिर मिट्टी में लाल गुलाल व हरा गुलाल मिलाकर उस गड्ढे को भरकर उसके ऊपर पीले गुलाल से कर्जदार का नाम लिख दें। जब होली जले तब आप पान के पत्ते पर 3 बतासे, घी में डुबोया एक जोड़ा लौंग, तीन बड़ी इलायची, थोड़े-से काले तिल व गुड़ की एक डली रखकर तथा सिन्दूर छिड़ककर पान के पत्ते से ढक दें।
अब सात परिक्रमा करते हुए प्रत्येक बार निम्न मंत्र का जप करके एक-एक गोमती चक्र होलिका में डालतेजाएं - “ल्रीं ल्रीं फ्रीं फ्रीं अमुक कर्ज विनश्यते फट् स्वाहा” यहां अमुक के स्थान पर कर्जदार का नाम लें। परिक्रमा करने के बाद प्रणाम करके वापस आ जाएं। अगले दिन जाकर सर्वप्रथम तीन अगरबत्ती दिखाकर गड्ढे में से सामग्री निकाल लें और थोड़ी-सी गुलाल मिश्रित मिट्टी भी ले लें। फिर सभी को किसी नदी में प्रवाहित कर दें। कुछ ही समय में कर्ज मुक्ति के मार्ग निर्मित होने लगेंगे।
10. आपने देखा होगा कि किसी निवास या व्यवसाय स्थल पर अचानक ही कुछ अजीबो-गरीब घटनाएं घटित होती हैं अथवा उस स्थान पर जो व्यक्ति प्रवेश करता है, उसके मन में डर के साथ अजीब-सी घुटना होने लगती है अथवा बिना बात के नुकसान या झगड़े होने लगते हैं। यदि आपके साथ ऐसा कुछ होता है, तो समझ जाएं कि आप पर अथवा उस स्थान पर किसी प्रकार की कोई ऊपरी बाधा का प्रभाव है।
जब तक आप उस बाधा से मुक्ति नहीं पा लेंगे, तब तक आप ऐसे ही परेशान रहेंगे। इस बाधा से मुक्ति पाने के लिए आप यह उपाय अवश्य करें।
जिस स्थान पर यह बाधा है, उस स्थान के सर्वाधिक निकट जो भी वृक्ष हो, उसको देखें। यदि पीपल का वृक्ष हो, तो बहुत अच्छा है। होली के पूर्व शुक्ल पक्ष के प्रथम सोमवार को अंधेरा होने पर आप उस स्थान पर जाएं, जिस स्थान पर वृक्ष है।
फिर ताँबे के एक पात्र में दूध में थोड़ी-सी शक्कर मिश्रित करें और खोए के तीन लड्डू, थोड़ी-सी साबूदाने की खीर, 11 हरी इलायची, 21 बताशे, दूध से बनी थोड़ी-सी कोई भी अन्य मिठाई तथा एक सूखे खोपरे में बूरा भरकर उसके मध्य लौंग का एक जोड़ा रखकर उस वृक्ष की जड़ में अर्पित करें। साथ ही 21 अगरबत्ती भी अर्पित करें। यही क्रिया किसी मन्दिर में लगे पीपल के वृक्ष पर भी करें।
प्रथम बार के प्रयोग से ही आप परिवर्तन अनुभव करेंगे। यदि समस्या अधिक है, तो यह क्रिया 3, 5, 7 या 11 सोमवार तक करें। आप निश्चित रुप से ऊपरी बाधा से मुक्ति पा लेंगे। परन्तु इतना ध्यान रखें कि बाधा से मुक्ति के बाद आप प्रभु श्री हनुमान् जी के नाम पर कुछ दान अवश्य करें।
11. यदि आपको ऐसा लगे कि आपके निवास अथवा व्यवसाय स्थल पर कोई ऊपरी बाधा है, तो आप इस उपाय द्वारा उस बाधा से मुक्ति पा सकते हैं। होली की रात्रि में गाय के गोबर से इक दीपक बनाएं। इसके बाद उसमें सरसों का तेल, लौंग का जोड़ा, थोड़ा-सा गुड़ और काले तिल डाल दें। फिर दीपक को अपने मुख्य द्वार के बिल्कुल मध्य स्थान पर रख दें। द्वार की चौखट के बाहर आठ सौ ग्राम काली साबूत उड़द को फैला दें।
अब द्वार के अन्दर आकर दीपक को जला दें और द्वार बन्द कर दें। अगले दिन ठण्डा दीपक उठाकर घर के बाहर रख दें और झाड़ू की मदद से सारी उड़द को समेट लें। फिर ठण्डा दीपक और उड़द को बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें। तत्पश्चात् घर वापस आ जाएं तथा हाथ-पैर धोकर ही घर में प्रवेश करें। इसके बाद आप अगले शनिवार से पुनः यही क्रिया लगातार तीन शनिवार करें।
यदि आपको लगे कि बाधा अधिक बड़ी है, तो अगले शुक्ल पक्ष से पुनः तीन बार यह क्रिया दोहराएं। कार्य सिद्ध हो जाने पर शनिवार को ही किसी भी पीपल के वृक्ष में मीठे जल के साथ धूप-दीप अर्पित करें। इस उपाय द्वारा आप ऊपरी बाधा से मुक्ति पा लेंगे।
Posted Comments |
" जीवन में उतारने वाली जानकारी देने के लिए धन्यवाद । कई लोग तो इस संबंध में कुछ जानते ही नहीं है । ऐसे लोगों के लिए यह अत्यन्त शिक्षा प्रद जानकारी है ।" |
Posted By: संतोष ठाकुर |
"om namh shivay..." |
Posted By: krishna |
"guruji mein shri balaji ki pooja karta hun krishna muje pyare lagte lekin fir mein kahi se ya mandir mein jata hun to lagta hai har bhagwan ko importance do aur ap muje mandir aur gar ki poja bidi bataye aur nakartmak vichar god ke parti na aaye" |
Posted By: vikaskrishnadas |
"वास्तु टिप्स बताएँ ? " |
Posted By: VAKEEL TAMRE |
""jai maa laxmiji"" |
Posted By: Tribhuwan Agrasen |
"यह बात बिल्कुल सत्य है कि जब तक हम अपने मन को निर्मल एवँ पबित्र नही करते तब तक कोई भी उपदेश ब्यर्थ है" |
Posted By: ओम प्रकाश तिवारी |
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