Home » 2021 Year Festivals List With Dates » Kanwar Yatra 2021 Date in 2021

Kanwar Yatra 2021 Date in

Kanwar Yatra ~ कांवड़ यात्रा in the Year 2021 will be Celebrated on Friday, 06th August 2021

The Kanwar Yatra or Kavad Yatra (काँवर यात्रा or कांवड़ यात्रा) is an annual pilgrimage of devotees of Shiva, known as Kānvarias, to Hindu pilgrimage places of Haridwar, Gaumukh and Gangotri in Uttarakhand to fetch holy waters of Ganges River, Ganga Jal, which is later offered at their local Shiva temples. The Yatra takes place during the sacred month of Shravan (Saawan) (July -August), according to the Hindu calendar.

Kanwar Yatra is named after the kānvar (काँवर), a single-pole (usually made of bamboo) with two roughly equal loads fastened or dangling from opposite ends. The kānvar is carried by balancing the middle of the pole on one or both shoulders. Kanwar-carrying pilgrims, called Kānvarias, carry covered water-pots in canvas slung across their shoulders. This practice of carrying Kavad as a part of religious pilgrimage, especially by devotees of Lord Shiva, is widely followed throughout India.

The month of Shravan is dedicated to Lord Shiva and most devotees observe a fast on Mondays during the month, as it also falls during the chaturmas period, traditionally set aside for religious pilgrimages, bathing in holy rivers and penance. During the annual Monsoon season thousands of saffron-clad pilgrims carrying water from the Ganges in Haridwar, Gangotri or Gaumukh. 

These are the glacier from where the Ganges originates and other holy places on the Ganges, like Sultanganj, the only place where the river turns north during its course, and return to their hometowns, where they later they perform abhisheka (anointing) the Shivalingas at the local Shiva temples, as a gesture of thanks giving.

While most pilgrims are men, a few women also participate in Yatra. Most travel the distance on foot, a few also travel on bicycles, motorcycles, scooters, mini trucks or jeeps. Numerous Hindu organizations and other voluntary organizations like local Kanwar Sanghs, the Rashtriya Swayam Sewak Sangh and the Vishwa Hindu Parishad. setup camps along the National Highways during the Yatra, where food, shelter, medical-aid and stand to hang the Kanvads, holding the Ganges water is provided.

======================


सावन का पवित्र माह देश भर में मनाये जाने वाले पर्व गुरु पूर्णिमा (व्यास पूर्णिमा) के दिन से प्रारम्भ होता है और साथ ही बम बम भोले की गूँज, चहुँ ओर शिवमय वातावरण भी भगवान भोले जो आशुतोष अर्थात शीघ्र प्रसन्न होने वाले देव के लिए भर जाता हैं। शिव भक्तों द्वारा उनको प्रसन्न करने का विधान इसके साथ ही प्रारम्भ हो जाता है। 

अपने अपने घरों से प्राय श्रद्धालु शिव भक्त शिवालयों में जाकर सावन मास में भगवान शिव का जलाभिषेक, दुग्धाभिषेक करते हैं। उनका कोई भक्त इस सम्पूर्ण माह व्रत रखता है तो कोई सोमवार को, परन्तु इस माह का सबसे महत्वपूर्ण आयोजन होता है कावड़ यात्राएँ जिनका गंतव्य शिव के देवालय होते हैं। 

सम्पूर्ण भारत में भगवान् शिव का जलाभिषेक करने के लिए भक्त अपने कन्धों पर कांवड़(कांवड़ में कंधे पर बांस तथा उसके दोनों छोरों पर गंगाजल के पात्र बंधे रहते है) लिए हुए गोमुख (गंगोत्री) तथा अन्य ऐसे समस्त स्थानों से जहाँ पर भी पतित पावनी माँ गंगा विराजमान हैं, से जल लेकर अपनी यात्रा के लिए निकल पड़ते हैं। 

कांवड़ यात्रा वास्तव में एक संकल्प होती है, जो श्रद्धालु शिव भक्तों के द्वारा लिया जाता है। कांवड़ यात्रा के दौरान शिवभक्त कांवड़ियों के द्वारा नियमों का पालन ठीक प्रकार से नहीं किया जाता है। कांवड़ यात्रियों के लिए किसी भी प्रकार का नशा वर्जित रहता है। इस दौरान तामसी भोजन यानी मांस, मदिरा आदि का सेवन भी नहीं किया जाता है। 

बिना स्नान किए कांवड़ यात्री कांवड़ को नहीं छूते है। तेल, साबुन, कंघी करने व अन्य श्रृंगार सामग्री का उपयोग भी कावड़ यात्रा के दौरान नहीं किया जाता। स्त्री, पुरुष, बच्चे, प्रौढ़ परस्पर एक दूसरे को भोला या भोली कहकर ही सम्बोधित करते हैं। कांवड़ लेकर जाने के पीछे सबका अपना एक संकल्प रहता है कुछ लोग “खडी कांवड़” का संकल्प लेकर चलते हैं, ये लोग अपनी पूरी यात्रा में कांवड़ को जमीन पर नहीं रखते है।  

कांवड़ यात्रा में बोल बम एवं जय शिव-शंकर के घोष का उच्चारण करनइ, कांवड़ को सिर के ऊपर से न लेने तथा जहां कांवड़ रखी हो उसके आगे बगैर कांवड़ के नहीं जाने के नियमों का पालन करना होता है। श्रद्धालु शिव भक्तों के पैरों में  छाले पड़े हों, या फिर उनके पैर सूजे हुए हो, केसरिया बाने में सजे कांवड़ियों का प्रवाह अनवरत चलता ही रहता है। स्थान - स्थान पर कांवड़ सेवा शिविरों का आयोजन किया जाता हैं, जिनमें निशुल्क भोजन, जल, चिकित्सा सेवा, स्नान विश्राम आदि की व्यवस्था रहती है। 

मार्ग में स्थित स्कूलों, धर्मशालाओं, मंदिरों में कुछ समय विश्राम करके ये कांवड़िये, रास्ते में स्थित शिवमंदिरों में पूजार्चना करते हुए नाचते गाते, “बम बम बोले बम” भोले के जयकारों की गुंजार के साथ अपने गंतव्य की ओर बढ़ते जाते है। संकल्प के अनुसार अपने गंतव्य स्थान पर पहुंचकर शिवरात्री (श्रावण कृष्णपक्ष त्रयोदशी+चतुर्दशी) को शिव मंदिरों में जलाभिषेक करते हैं। 

देश के अन्य स्थानों में भी किसी न किसी रूप में सम्पूर्ण श्रावण मास में ऐसे ही विशिष्ठ आयोजन चलते रहते हैं। श्रावण मास की शिवरात्रि पर्व से लगभग 10 - 12 दिन पूर्व से प्रारम्भ हो जाने वाला यह शिव भक्तों का भारी जन सैलाब आस्था, श्रद्धा, विश्वास के सहारे ही अपनी कठिन यात्रा को शिव भक्ति के उत्साह से भरकर पूरी करता है। 

अंतिम दो दिन इस यात्रा में श्रद्धालुओं की संख्या में बड़ी बढ़ोतरी हो जाती है जब डाक कांवड़ भी इस यात्रा में शामिल हो जाती है। लगातर जीप, वैन, मिनी ट्रक, गाड़ियाँ, स्कूटर्स, बाईक्स आदि पर सवार शिव भक्त अपनी यात्रा गंगा जी से अपने गंतव्य स्थान की दूरी के लिए निश्चित घंटों में पूरी करने का संकल्प लेकर चलते हुए अपने आराध्य के प्रति अपनी श्रद्धा, भक्ति व्यक्त करते हैं। बहुत सी कांवड़ तो बड़ी विशाल होती हैं जिनको कई लोग उठाकर चलते हैं। 

इस तरह कड़े नियमों का पालन करते हुए कांवड़ यात्री अपनी यात्रा को पूर्ण करते हैं। इन नियमों का पालन करते हुए कांवड़ यात्रा पूरी करने से मन में संकल्प शक्ति का विकास होता है।

 
Comments:
 
Sun Sign Details

Aries

Taurus

Gemini

Cancer

Leo

Virgo

Libra

Scorpio

Sagittarius

Capricorn

Aquarius

Pisces
Free Numerology
Enter Your Name :
Enter Your Date of Birth :
Ringtones
Find More
Copyright © MyGuru.in. All Rights Reserved.
Site By rpgwebsolutions.com