श्री साईं बाबा के नाम से कोई विरला  व्यक्ति ही होगा जो उनसे परिचित न हो| वे कलयुग के महान अवतार थे| उन्होंने  किस देश, जाति, धार्मिक परिवार व कुल में जन्म लिया, यह कोई नहीं जानता|  उनके पूर्वज कौन थे, उनके पिता व माता कौन थी, यह कोई नहीं जानता| 
हेमातपंड  ने साईं बाबा से उनके जीवन के विषय में जानने की इच्छा प्रगट की थी| पर  उन्हें बाबा जी से कोई जानकारी नहीं मिल सकी| बाबा ने किसी को भी अपने विषय  में नहीं बताया था| एक बार जब बाबा म्हालसापति के साथ एकांत में बैठे थे  तो उन्होंने अपनी जन्म तिथि बताई| उन्होंने कागज के एक पुर्जे पर बाबा की  जन्म तिथि लिख कर रख दी| वह कागज का पुर्जा हेमातपंड के हाथ लग गया| इसी  पुर्जे के आधार पर वह बाबा की जीवनी लिखने लगे| पुर्जे के आधार पर बाबा का  जन्म 27 सितम्बर 1838 ईस्वी को हुआ था| पर बाबा के जीवन की वास्तविकता को  कोई नहीं जानता| 
शिरडी गाँव की  वृद्धा जो नाना चोपदार की माँ थी उसके अनुसार एक युवा जो अत्यन्त सुन्दर  नीम वृक्ष के नीचे समाधि में लीन दिखाई पड़ा| अति अल्प आयु में बालक को  कठोर तपस्या में देख कर लोग आश्चर्य चकित थे| तपस्या में लीन बालक को  सर्दी-गर्मी व वर्षा की जरा भी चिंता न थी| आत्मसंयमी बालक के दर्शन करने  के लिए अपार जन समूह उमड़ने लगा|
यह  अदभुत बालक दिन में किसी का साथ नहीं करता था| उसे रात्रि के सुनसान  वातावरण में कोई भय नहीं सताता था| "यह बालक कहाँ से आया था?" यह प्रश्न  सबको व्याकुल कर देता था| दिखने में वह बालक बहुत सुन्दर था| जो उसे एक बार  देख लेता उसे बार बार देखने की इच्छा होती| वे इस बात से हैरान थे कि यह  सुन्दर रूपवान बालक दिन रात खुले आकाश के नीचे कैसे रहता है| वह प्रेम और  वैराग्य की साक्षात् मूर्ति दिखाई पड़ते थे| 
उन्हें  अपने मान अपमान की कभी चिंता नहीं सताती थी| वे साधारण मनुष्यों के साथ  मिलकर रहते थे, न्रत्य देखते, गजल व कवाली सुनते हुए अपना सिर हिलाकर उनकी  प्रशंसा भी करते| इतना सब कुछ होते हुए भी उनकी समाधि भंग न होती| जब  दुनिया जागती थी तब वह सोते थे, जब दुनिया सोती थी तब वह जागते थे| बाबा ने  स्वयं को कभी भगवान नहीं माना| वह प्रत्येक चमत्कार को भगवान का वरदान  मानते| सुख - दुःख उनपर कोई प्रभाव न डालते थे| संतो का कार्य करने का ढंग  अलग ही होता है| कहने को साईं बाबा एक जगह निवास करते थे पर उन्हें विश्व  एक समस्त व्यवहारों व व्यापारों का पूर्ण ज्ञान था|
