Pilgrimage in India -विशेष धार्मिक स्थल

बाबा भैरू मढ़ में परवान चढ़े श्रद्धा-

हरियाणाकी धरा पर स्थित पवित्र धर्मस्थलों में समय-समय पर उमडने वाली भीड को देखकर इन धर्मस्थलों की प्रसिद्धि का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है। रेवाडीके पश्चिम में 24किमी. दूर गांव बासदूधामें बना भैरूमंदिर भी हरियाणाभरमें प्रसिद्ध है। इसके प्रति श्रद्धालुओं का अटूट विश्वास है। बाबा भैरूके मढ पर वैसे तो रोजाना श्रद्धालुओं की भीड लगी रहती है लेकिन वर्ष में दो बार लगने वाले मेलों में अपार भीड को देखकर ऐसा लगता है कि जैसे सारी दुनिया यहीं पर एकत्र हो गई हो।

यहां पहला मेला जनवरी माह में मकर संक्रांति के अवसर पर (सकरातडे का मेला) लगता है और दूसरी बार चैत्र मास की शुक्ल एकादशी को मेला लगता है। दो बार लगने वाले मेले में बाबा भैरूके मढ पर समस्त भारत से श्रद्धालु धोकलगाने आते हैं। इन मेलों में वाकई श्रद्धा परवान चढी हुई दिखती है। श्रद्धालु बाबा भैरूके मढ पर खील, पतासे,लड्डू, गुलगुले, दही, चूरमा, तेल व सिंदूर चढाकर माथा टेकते हैं।

कई श्रद्धालु बाबा के मढ पर जयकारे लगाते हुए आते हैं तो कई पेट के बल चलकर बाबा के मढ पर आकर मन्नत मांगते हैं। नवविवाहित जोडे अपनी शादी के बाद लगने वाले बाबा भैरूके मेले में गठजोडेकी जात लगाना नहीं भूलते। लोग गठजोडेकी जात लगाकर बाबा भैरूसे वंश वृद्धि का आशीर्वाद मांगते हैं। नवजात शिशुओं की जडुल्लेकी जात बाबा के मढ पर आकर ही लगती है। श्रद्धालु अपने शिशु का मुंडन संस्कार यहीं पर आकर करवाते हैं। गठजोडेकी जात डैरू-डंकों,ढप्पया ढोल बजाकर शान से दी जाती है। कई श्रद्धालु तो घर से गुलगुले व चूरमा आदि बनाकर लाते हैं और बाबा के मढ पर जाकर भोग लगाकर ही खाना खाते हैं। ऐसी मान्यता है कि जब तक बाबा को तेल-सिंदूर नहीं चढाया जाता तब तक कोई भी न तो कुछ खाता है और न ही कुछ पीता है। इसके अलावा कोई भी श्रद्धालु इससे पहले मेले में भी खरीददारी नहीं करता है। एक और मान्यता यह भी है कि बाबा के मढ पर अटोकतेल-सिंदूर चढाने से मस्सा, सीप और किसी भी प्रकार का चर्मरोग बाबा की कृपा से ठीक हो जाता है। इस प्रकार के रोगी तो हर शनिवार को भी मढ पर आते हैं और इन रोगों से मुक्ति पाते हैं। श्रद्धालुओं का मानना है कि किसी भी तरह का रोग हो जाने पर बाबा के नाम का तेल-सिंदूर वारने व बोलने मात्र से ही जल्द ही उस रोग से निजात मिल जाती है। श्रद्धालुओं का मानना है कि बाबा भैरूके मढ पर आकर सच्चे मन से की गई आराधना सफल होती है।

बाबा भैरूका मेला पहले तो गांव अहरोदमें भरता था लेकिन अहरोदमें बाबा के मेले में आने वाले अनगिनत श्रद्धालुओं के लिए पीने के पानी की कमी के कारण इस मेले को अहरोद की बावनी की जमीन में ही एक जोहड के पास वट के वृक्ष के नीचे लगाया जाने लगा।

अति प्राचीन भैरूमंदिर आज भी अहरोदमें स्थित है। अधिकतर श्रद्धालु तो आज भी अहरोदस्थित बाबा भैरूके मढ पर धोकलगाने जाते हैं। एकादशी के दिन रेवाडीके गांव बासदूधामें मेला चरम पर होता है। इस दिन ठठेरासमाज द्वारा भात भरा जाता है तथा द्वादशी की सुबह चार बजे बाबा भैरूकी आरती की जाती है और द्वादशी को सायं दो बजे बाबा की परिक्रमा कर मेले का समापन किया जाता है।

State : Haryana
Other Pilgrimages of Haryana are :
धार्मिक स्थल
»      Akshardham
Copyright © MyGuru.in. All Rights Reserved.
Site By rpgwebsolutions.com