गजराज। कई शक्तिशाली हाथियों का सरदार था। उसके पीछे बड़े-बड़े हाथियों के झुण्ड के झुण्ड चलते थे।
इस गजराज से, उसके महान् बल के कारण बड़े-से-बड़े हिंसक जानवर भी डरते थे सिंह, बाघ, गैंडे आदि उसकी गन्ध सूँघकर ही भाग खड़े होते थे, गजराज मदमस्त था।
एक दिन बड़े जोर की धूप थी।
वह प्यास से व्याकुल हो गया।
अपने झुण्ड के साथ वह उसी सरोवर में उतर पड़ा जो त्रिकूट की तराई में स्थित था।
जल उस समय अत्यन्त शीतल एवं अमृत के समान मधुर था।
पहले तो उस गजराज ने अपनी सूँड़ से उठा-उठा जी भरकर इस अमृत-सदृश्य जल का पान किया।
फिर उसमें स्नान करके अपनी थकान मिटाई।
इसके पश्चात उसका ध्यान जलक्रीड़ा की ओर गया।
वह सूँड़ से पानी भर-भर अन्य हाथियों पर फेंकने लगा और दूसरे भी वही करने लगे।
मदमस्त गजराज सबकुछ भूलकर जल-क्रीड़ा का आनन्द उठाता रहा।
उसे पता नहीं था कि उस सरोवर में एक बहुत बलवान ग्राह भी रहता था।
उस ग्राह ने क्रोधित होकर उस गजराज के पैर को जोरों से पकड़ लिया और उसे खींचकर सरोवर के अन्दर ले जाने लगे।
उसके पैने दातों के गड़ने से गजराज के पैर से रक्त का प्रवाह निकल पड़ा जिससे वहाँ का पानी लाल हो आया।
उसके साथ के हाथियों और हथिनियों को गजराज की इस स्थिति पर बहुत चिंता हुई।
उन्होंने एक साथ मिलकर गजराज को जल के बाहर खींचने का प्रयास किया किंतु वे इसमें सफल नहीं हुए।
वे घबराकर ज़ोर-ज़ोर से चिंघाड़ने लगे।
इस पर दूर-दूर से आकर हाथियों के कई झुण्डों ने गजराज के झुण्डों से मिलकर उसे बाहर खींचना चाहा किन्तु यह सम्मिलित प्रयास भी विफल रहा।
सभी हाथी शान्त होकर अलग हो गए।
अब ग्राह और गजराज में घोर युद्ध चलने लगा दोनों अपने रूप में काफी बलशाली थे और हार मानने वाले नहीं थे।
कभी गजराज ग्राह को खींचकर पानी से बाहर लाता तो कभी ग्राह गजराज को खींचकर पानी के अन्दर ले जाता किन्तु गजराज का पैर किसी तरह ग्राह के मुँह से नहीं छूट रहा था बल्कि उसके दाँत गजराज के पैर में और गड़ते ही जा रहे थे और सरोवर का पानी जैसे पूरी तरह लाल हो आया था।
गज और ग्राह के बीच युद्ध कई दिनों तक चला।
अन्त में अधिक रक्त बह जाने के कारण गजराज शिथिल पड़ने लगा।
उसे लगा कि अब वह ग्राह के हाथों परास्त हो जाएगा।
उसको इस समय कोई उपाय नहीं सूझा और अपनी मृत्यु को समीप पाकर उसे भगवान नारायण की याद आयी।
उसने एक कमल का फूल तोड़ा और उसे आसमान की ओर इस तरह उठाया जैसे वह उसे भगवान को अर्पित कर रहा हो।
अब तक वह ग्राह द्वारा खींचे जाने से सरोवर के मध्य गहरे जल में चला गया था और उसकी सूड़ का मात्र वह भाग ही ऊपर बचा था जिसमें उसने लाल कमल-पुष्प पकड़ रखा था।
उसने अपनी शक्ति को पूरी तरह से भूलकर और अपने को पूरी तरह असहाय घोषित कर नारायण को पुकारा।
भगवान समझ गए कि इसे अपनी शक्ति का मद जाता रहा और वह पूरी तरह से मेरा शरणागत है।
जब नारायण ने देखाकि मेरे अतिरिक्त यह किसी को अपना पक्षक नहीं मानता तो नारायण के ‘ना’ के उच्चारण के साथ ही वह गरुण पर सवार होकर चक्र धारण किए हुए सरोवर के किनारे पहुँच गए।
उन्होंने देखाकि गजेन्द्र डूबने ही वाला है।
वह शीघ्रता से गरुण से कूद पड़े।
इस समय तक बहुत से देवी- देवता भी भगवान के आगमन को समझकर वहाँ उपस्थित हो गए थे।
सभी के देखते-देखते भगवान ने गजराज और गजेन्द्र को एक क्षण में सरोवर से खींचकर बाहर निकाला।
देवताओं ने आश्चर्य से देखा, उन्होंने सुदर्शन से इस तरह ग्राह का मुँह फाड़ दिया कि गजराज के पैर को कोई क्षति नहीं पहुँची।
ग्राह देखते-देखते तड़प कर मर गया और गजराज भगवान की कृपा- दृष्टि से पहले की तरह स्वस्थ हो गया।
गजराज ने भावविभोर होकर नारायण की स्तुति की और कहा आप शरणागतों के उद्धारक हैं।
आपको मेरा बार-बार नमस्कार हो।
जीव व्यर्थ में ही अहंकार में पड़ अपने को सर्व-समर्थ मान बैठता है।
आपकी अपार शक्ति के सामने सभी प्राणियों की सम्मिलित शक्ति भी कुछ काम नहीं आ सकती।
आप ही सभी प्राणियों के स्रष्टा, संरक्षक और संहारक हैं।
जिस समय गजेन्द्र श्रीनारायण की स्तुति कर रहा था, सरोवर किनारे उपस्थित देवता आपस में भगवान के कृपालु स्वभाव के सम्बन्ध में वार्तालाप कर रहे थे।
उनमें से एक ने ठीक ही कहा—
जब तक अपनी शक्ति पर विश्वास करते रहो, ईश्वर की सहायता नहीं मिलती।
जब अपने को सर्वथा तुच्छ समझ भगवान की शरण में जाओ तभी वह तत्काल तुम्हारी रक्षा करता है।
Posted Comments |
" जीवन में उतारने वाली जानकारी देने के लिए धन्यवाद । कई लोग तो इस संबंध में कुछ जानते ही नहीं है । ऐसे लोगों के लिए यह अत्यन्त शिक्षा प्रद जानकारी है ।" |
Posted By: संतोष ठाकुर |
"om namh shivay..." |
Posted By: krishna |
"guruji mein shri balaji ki pooja karta hun krishna muje pyare lagte lekin fir mein kahi se ya mandir mein jata hun to lagta hai har bhagwan ko importance do aur ap muje mandir aur gar ki poja bidi bataye aur nakartmak vichar god ke parti na aaye" |
Posted By: vikaskrishnadas |
"वास्तु टिप्स बताएँ ? " |
Posted By: VAKEEL TAMRE |
""jai maa laxmiji"" |
Posted By: Tribhuwan Agrasen |
"यह बात बिल्कुल सत्य है कि जब तक हम अपने मन को निर्मल एवँ पबित्र नही करते तब तक कोई भी उपदेश ब्यर्थ है" |
Posted By: ओम प्रकाश तिवारी |
Vegetarian Recipes | |
» | Adai ( Diabetic Recipe ) |
» | Zucchini Bajji |
» | Empanadas |
» | Faraali Idli Sambhar |
» | Sattu Dalia |
» | Faraali Dosa ( Faraal Foods) |
» | Poda Pitha |
» | Cookies |
More |
Upcoming Events | |
» | Akshaya Tritiya, 10 May 2024, Friday |
» | Parshuram Jayanti, 10 May 2024, Friday |
» | Buddha Purnima, 23 May 2024, Thursday |
» | Narada Jayanti, 24 May 2024, Friday |
» | Vat Savitri Vrat, 6 June 2024, Thursday |
» | Shani Jayanti, 6 June 2024, Thursday |
More |
Feng Shui Protection | |
Feng Shui tips for Children | |
Feng Shui tips for health | |
View all |
Lal Kitab Remedies | |
किन लोगों को शनिदेव बनाते है धनी | |
चन्द्रमा ग्रह पीड़ा निवारक टोटका | |
ब्लड प्रेशर या डिप्रेशन से परेशान हैं तो यह उपाय करें | |
Remedy to defeat enemies | |
View all Remedies... |
Ganesha Prashnawali |
Ma Durga Prashnawali |
Ram Prashnawali |
Bhairav Prashnawali |
Hanuman Prashnawali |
SaiBaba Prashnawali |
|
|
Dream Analysis | |