Pilgrimage in India -अदभुत धार्मिक स्थल

 

उज्जैन।देश के बारह ज्योतिर्लिगोंमें प्रमुख प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर के शीर्ष पर स्थित नागचंद्रेश्वरमंदिर में देवाधिदेव भगवान शिव की एक ऐसी विलक्षण प्रतिमा है, जिसमें वह अपने पूरे परिवार के साथ सर्प सिंहासन पर आसीन है।

हिंदू मान्यताओं के अनुसार सर्प भगवान शिव का कंठाहारऔर भगवान विष्णु का आसन है लेकिन यह विश्व का संभवत:एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां भगवान शिव, माता पार्वती एवं उनके पुत्र गणेशजीको सर्प सिंहासन पर आसीन दर्शाया गया है। वर्ष में केवल एक दिन नागपंचमी पर इस मंदिर के पट 24घंटे के लिए खुलते है और इस दौरान दूरदराज से आने वाले श्रद्धालुओं की भारी भीड उमड पडती है। शनिवार को नागपंचमी का पर्व होने की वजह से शुक्रवार की मध्यरात्रि से ही इस मंदिर में भगवान शिव के दर्शनों के लिए भक्तों की कतार लगने का सिलसिला आरंभ हो जाएगा।

महाकाल भक्त मंडल के अध्यक्ष एवं महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी पंडित रमण त्रिवेदी ने बताया कि पौराणिक मान्यता के अनुसार सर्पोके राजा तक्षक ने भगवान शंकर की यहां घनघोर तपस्या की थी। तपस्या से भगवान शिव प्रसन्न हुए और तक्षक को अमरत्व का वरदान दिया। ऐसा माना जाता है कि उसके बाद से तक्षक नाग यहां विराजितहै, जिस पर शिव और उनका परिवार आसीन है। एकादशमुखीनाग सिंहासन पर बैठे भगवान शिव के हाथ-पांव और गले में सर्प लिपटे हुए है।

इस अत्यंत प्राचीन मंदिर का परमार राजा भोज ने एक हजार और 1050ईस्वी के बीच पुनर्निर्माण कराया था। 1732में तत्कालीन ग्वालियर रियासत के राणाजीसिंधिया ने उज्जयिनीके धार्मिक वैभव को पुन:स्थापित करने के भागीरथी प्रयास के तहत महाकालेश्वर मंदिर का जीर्णाेद्धार कराया। प्रतिवर्ष श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की पंचमी के दिन नागपंचमी का पर्व पडता है और इस दिन नाग की पूजा की जाती है।

इस दिन कालसर्पयोग की शांति के लिए यहां विशेष पूजा के आयोजन भी होते है। श्री महाकाल ज्योतिष अनुसंधान केंद्र के संचालक और ज्योतिषाचार्य पंडित कृपाशंकर व्यास ने बताया कि नागचन्द्रेश्वरमंदिर दुनिया में अपनी तरह का एक ही मंदिर है।उन्होने कहा कि यहां पूजा-पाठ का विशेष महत्व है।

State : Uttar Pradesh
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